यह जिले की नवनिर्मित तहसील है और नेवज नदी के किनारे बसा है। पचौर नगर के मध्य से आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राज मार्ग गुजरता है, साथ ही पचौर में बड़ी रेल-लाइन उज्जैन-गुना भी निकलती है। पचौर का इतिहास २०० वर्षो से भी अधिक पुराना है, इसका पुराना नाम कुछ लेखों में पारा, पारद नगर के रूप में भी मिलता है। यहाँ पर प्राचीन शिवालय मन्दिर है जिसे बड़ा शिवालय के नाम से जाना जाता है। इस मन्दिर में १९८४ से निरंतर अखंड रामायण का पाठ चल रहा है। पचौर से इंदौर, उज्जैन, गुना व भोपाल की दूरी लगभग १५० किमी है। पचौर से खुजनेर, तलेन व बोड़ा के लिए पक्की सड़कें बनी हुई है। पचौर तहसील का निर्माण २८ अगस्त २००८ को हुआ। इससे पूर्व पचौर में टप्पा कार्यालय कार्यरत था। यहाँ पर नगरीय निकाय के रूप में नगर पंचायत का ऑफिस चलता है जिसमे गांधीजी की सुंदर प्रतिमा बनी हुई है। नगर पचायत के पूर्व यहाँ ग्राम पंचायत लगा करती थी। २८ अगस्त को पचौर को तहसील का दर्जा मिलने से पूर्व यह सारंगपुर तहसील का एक अंग था। अब तहसील बन जाने से इसमें दो नगर पंचायतों के साथ ६६ ग्राम पंचायतो के १२४ ग्राम शामिल हो गए है।